पोजीशनल ट्रेडिंग/positional-trading

पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है? | Positional Trading in Hindi


पोजीशनल ट्रेडिंग क्या होती है?

पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading) एक प्रकार की ट्रेडिंग है जिसमें ट्रेडर किसी शेयर या एसेट को कई दिनों, हफ्तों या महीनों तक होल्ड करता है ताकि लंबी अवधि में प्रॉफिट कमा सके।

यह ट्रेडिंग उन लोगों के लिए होती है जो रोज़ाना मार्केट देखने के बजाय फंडामेंटल एनालिसिस और ट्रेंड्स पर भरोसा करते हैं।


पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे काम करती है?

  1. शेयर चुना जाता है जिसमें लंबे समय का ग्रोथ पोटेंशियल हो
  2. एंट्री पॉइंट पर खरीद कर शेयर को दिनों या हफ्तों तक होल्ड किया जाता है
  3. जब शेयर का मूल्य अपेक्षित स्तर तक पहुँचता है, तो प्रॉफिट पर बेचा जाता है

होल्डिंग अवधि

टाइपअवधि
शॉर्ट टर्म2 हफ्ते – 1 महीना
मिड टर्म1 महीना – 3 महीने
लॉन्ग टर्म3 महीने से ज़्यादा

ज़रूरी टूल्स और स्ट्रैटेजी

टूलकार्य
Technical Chartट्रेंड, सपोर्ट, ब्रेकआउट पहचानने के लिए
Fundamental Analysisकंपनी के फाइनेंस और बिज़नेस मॉडल को समझने के लिए
Risk ManagementSL (Stop Loss) और Target सेट करने के लिए
News & Results TrackingQuarterly results, announcements के लिए

पोजीशनल ट्रेडिंग के फायदे

फायदाविवरण
कम समय की जरूरतरोज़-रोज़ मार्केट देखने की ज़रूरत नहीं
नौकरी या बिज़नेस वालों के लिए सहीकम समय में भी निवेश संभव
कम तनावIntraday या Scalping जितना तेज़ decision making नहीं चाहिए
Fundamental-based returnsअच्छी कंपनियों में निवेश का फायदा मिलता है

पोजीशनल ट्रेडिंग के नुकसान


क्या आपको पोजीशनल ट्रेडिंग करनी चाहिए?

प्रोफ़ाइलउपयुक्तता
Working Professionals✔️ Best Option
Long-Term Thinkers✔️
Beginners✔️ (with research)
Fast Traders❌ (Prefer Intraday)

स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

  1. Strong Stocks पहचानें (Technicals + Fundamentals से)
  2. Quarterly Results और News एनालाइज़ करें
  3. Target और Stop Loss Set करें
  4. धैर्य रखें और Emotion से दूर रहें
  5. Portfolio diversify करें

उदाहरण: एक सफल पोजीशनल ट्रेड

  • Stock: TCS
  • Buy Date: 15 Jan 2024 @ ₹3200
  • Sell Date: 15 April 2024 @ ₹3900
  • Gain: ₹700/share (21.9%)

निष्कर्ष

पोजीशनल ट्रेडिंग उन लोगों के लिए एक बेहतरीन तरीका है जो कम समय देकर भी शेयर बाजार से लाभ कमाना चाहते हैं। यह रणनीति कम रिस्क, ज़्यादा एनालिसिस और धैर्य पर आधारित होती है।